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वो तितली की तरह आयी और ज़िन्दगी को बाग कर गयी मेरे जितने भी नापाक थे इरादे, उन्हें भी पाक कर गयी। माना की तुमको भी इश्क़ का तजुर्बा...
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राज़ जो कुछ हो इशारों में बता देना हाथ जब उससे मिलाओ दबा भी देना नशा वेसे तो बुरी शे है, मगर “राहत” से सुननी हो तो थोड़ी सी पिला...
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मन जहां डर से परे है “मन जहां डर से परे है और सिर जहां ऊंचा है; ज्ञान जहां मुक्त है और जहां दुनिया को संकीर्ण घरेलू दीवारों से छ...
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Meri Dastan Mera Sab bura bhi kehna, Par aacha bhi sab batana. Mai jau duniya se toh sabko Meri dastaan sunana. yeh bhi Batana Ki ka...
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दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं हमें चराग़ समझ कर बुझा न पाओगे हम अपने घर में कई आफ़...
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इश्क़ को मासूम रहने दो , नोटबुक के आखरी पन्ने पर, आप उससे किताबों में डाल के मुश्किल न कीजिये… रफ़ीक़ों से रक़ीब अच्छे जो जल कर ना...
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Zakir Khan Poetry Shunya – मैं शून्य पे सवार हूँ बेअदब सा मैं खुमार हूँ अब मुश्किलों से क्या डरूं मैं खुद कहर हज़ार हूँ मैं शून्य पे ...
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Intezamat naye sire se sambhale jayen Jitane kamzarf hain mehafil se nikale jayen Mera ghar ag ki lapaton may chupa hia lekin Jab...
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प्रेम में प्राण में गान में गंध में (गीतांजलि) प्रेम में प्राण में गान में गंध में आलोक और पुलक में हो रह प्लावित निखिल द्युलोक और...
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Zakir Khan Shayari Qayamat Mere kuch sawaal hai jo sirf Qayamatt ke roj puchhunga tumse, Kyuki uske pehle tumhari aur meri baa...
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