वो तितली की तरह आयी और ज़िन्दगी को बाग कर गयी
मेरे जितने भी नापाक थे इरादे, उन्हें भी पाक कर गयी।
माना की तुमको भी इश्क़ का तजुर्बा कम् नहीं,
हमने भी तो बागो में है कई तितलियाँ उड़ाई…
ज़िन्दगी से कुछ ज्यादा नहीं बास इतनी सी फरमाइश है ,
अब तस्वीर से नहीं, तफ्सील से मिलने की ख्वाइश है…
यूँ तो भूले है हमे लोग कई पहले भी बोहोत से,
पर तुम जितना उनमे से कभी कोई याद नहीं आता…
तुझे खोने का खौफ जबसे निकला है बाहर,
तुझे पाने की जिद भी टिक न सकी दिल में…

 कामयाबी, तेरे लिए हमने खुदको को कुछ यूँ तैयार कर लिया, 
मैंने हर जज़्बात बाज़ार में रख कर इश्तेहार कर लिया…