मार डाला मुस्कुरा कर नाज़ से
हाँ मिरी जाँ फिर उसी अंदाज़ से
मैं भी हैरान हूँ ऐ ‘दाग़’ कि ये बात है क्या
वादा वो करते हैं आता है तबस्सुम मुझ को
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
जा चुकी है बहार चुप हो जा
हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
हम ने सुना था की दोस्त वफ़ा करते हैं “फ़राज़”
जब हम ने किया भरोसा तो रिवायत ही बदल गई
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