ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार
राह में ज़िंदगी खड़ी होगी
दुश्मनों से क्या ग़रज़ दुश्मन हैं वो
दोस्तों को आज़मा कर देखिए
अब वो आग नहीं रही, न शोलो जैसा दहकता हूँ,
रंग भी सब के जैसा है, सबसे ही तो महेकता हूँ…
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में,
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ…