चलते फिरते हुए महताब दिखायेंगे तुम्हें
हमसे मिलना कभी पंजाब दिखायेंगे तुम्हें

चाँद हर छत पे है ,सुरज है हर एक आंगन में
नींद से ज़ागो तो कुछ ख़्वाब दिखायेंगे तुम्हें

पूछते क्या हो रुमाल के पीछे क्या है
फिर किसी ऱोज ये शैलाब दिखायेंगे तुम्हें