पथ का वह बंधु

पथ का वह बंधु
गंध लिए कुसुमों की
पथ का वह बंधु
उसका आलोक अरे

बंधु वही तेरा है बंधु वही तो ।
कहे मधु खोजो मधु वही तो ।।
बंधु वही तो ।
उसका अंधियार 
अभी-अभी यहीं और अभी नहीं वो ।।
बंधु वही तो !

–रबिन्द्रनाथ टैगोर–